21 वर्षीय मरियम और उनकी सहेली तमन्ना बुलंदशहर से दिल्ली आना बहुत पसंद करती हैं। चांदनी चौक उनकी घुमक्कड़ी का पसंदीदा ठिकाना है। हालिया दिनों में वहां हुए पुनर्विकास के कार्य ने उनके अनुभव को और बेहतर बनाया है। मरियम बताती हैं “हमको सबसे अच्छा चांदनी चौक लगता है, मगर यहां के शोर शराबे की वजह से हम यहां आने से कतराने लगे थे। पर हम लॉक डाउन के बाद जब यहां आए तो यहां का माहौल और रेनोवेशन देख कर दंग रह गए। हमें यकीन नहीं हुआ कि ये वही पुराना चांदनी चौक है जहाँ की तंग गलियों से गुज़रना पहाड़ लांघने के बराबर था।” वहीं तमन्ना बताती हैं कि चौड़ी सड़कों और बेहतर एल.इ.डी लाइटिंग की वजह से अब वह पहले से ज़्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं – “अब न तो छेड़खानी का डर है और न ही जेब कतरों का। हम इन प्रयासों के लिए सरकार के आभारी हैं।”
मुग़ल काल और अंग्रेजी सल्तनत में जोहरी बाज़ार या फिर उर्दू बाज़ार के नाम से मशहूर चांदनी चौक हर पैमाने से अलग और अनोखा है। चांदनी चौक को वर्ष 1750 में बनाया गया था। शाहजहां की पुत्री जहांआरा बेगम ने चांदनी चौक का निर्माण करवाया था। यह उस दौर में किसी महिला द्वारा करवाया गया एक उत्कृष्ट निर्माण था।
चांदनी चौक का स्थापत्य वहां बीचों बीच गुज़रती एक मुख्य सड़क और उसके दोनों ओर सजी दुकानों की कतारों से परिभाषित होता है। चांदनी चौक थोक बाज़ार के रूप में काफ़ी मशहूर है। मूल रूप में यहां 1580 दुकानें बनाई गईं थीं। चौकोर आकर वाला बाज़ार अपनी परिधि में 40 गज चौड़ा और 1520 गज लम्बा था। इसके बीचोंबीच एक तालाब हुआ करता था जो चांदनी रात में चांदी की तरह चमकता था।
परन्तु यातायात और थोक व्यापार के बढ़ते भार से चांदनी चौक और उसके आस पास के इलाकों की आधारभूत संरचना पर बहुत ज़ोर पड़ा। इससे निपटने के लिए वर्ष 2004 में एक योजना सामने आयी। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम की स्थापना भी की परन्तु वर्ष 2018 में केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में ही इस योजना ने उड़ान भरी।
पुनर्विकास के बाद का चांदनी चौक
चांदनी चौक में पुनर्विकास का कार्य पूर्ण हो चूका है। 90 करोड़ की लागत वाली दिल्ली सरकार की इस महत्वाकांक्षी पुर्नविकास परियोजना के तहत चांदनी चौक को पूरी तरह से बदलने की कवायद को ज़ोरों से अंजाम दिया गया। अब यहां खरीदारी करने वालों को छोटी और तंग गलियों में धक्के नहीं खाने होंगे। अब पहले की तरह गाड़ियों और रिक्शे का शोर नहीं सुनाई देगा।
पैदल आवाजाही और रिक्शों के लिए एक सुकूनदेह व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु यहाँ 5.4 मीटर चौड़े फुटपाथ और 5.5 मीटर चौड़े रिक्शा लेन का निर्माण किया गया है। मुग़लिया नक्काशी वाली सैंडस्टोन की कुर्सियां थके मुसाफिरों का अब आकर्षण होंगी। साथ ही सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक यह इलाका नॉन मोटराइज्ड व्हीकल एरिया रहेगा जिससे इस इलाके तो यहाँ के चिर परिचित लम्बे ट्रैफिक जामों से निजात मिलेगी। इस सम्बन्ध में नार्थ ऍम सी डी ने भी गाँधी मैदान के नज़दीक यहाँ एक मल्टी लेवल पार्किंग बनाने का निर्णय लिया है जिसकी क्षमता 2300 वाहनों से अधिक होगी।
इस बाज़ार के कायाकल्प के चर्चे केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। हाल ही में भारत में जर्मन राजदूत, वाल्टर जे लिंडनर ने चांदनी चौक का एक वीडियो साझा किया है, जिसमें चांदनी चौक का एक नया रूप नज़र आता है। उन्होंने इसमें कैप्शन देते हुए लिखा- “क्या आप इस पैदल मार्ग को पहचानते हैं? हां, यह दिल्ली का प्रतिष्ठित #ChandniChowk है। रिक्शे और कारों के शोर से मुक्त यह स्थान एक नया रूप प्राप्त कर रहा है और इसके साथ यातायात-मुक्त क्षेत्र में बदल गया है।” इस पूरे पहल की प्रशंसा करते उन्होंने कहा “हमें इसका समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह दिल्ली को एक जीवंत और सुखद शहर बनाता है। हरा भरा और ताज़ी हवा। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा विचार है।”
पुनर्विकास परियोजना पर लोगों की राय
चांदनी चौक के पुनर्विकास परियोजना के सम्बन्ध में आम लोग, वहां के व्यापारियों, रिक्शा चालकों, की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। दी वॉइसेस से लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं। व्यापारियों के विचारों को विश्लेषण करें तो सार यही निकलता है कि वे इस परिवर्तन से वे बेहद खुश हैं।
व्यापारी रतनसिंह बताते हैं “यहां से माल ढोने वालों के लिए थोड़ी परेशानी हो सकती है। पर हम पंजाब से आते हैं, यहां से थोक में समान ले जाते हैं और वहाँ बेचते हैं। । अब यहाँ घूमते हुए हमें ज़्यादा असुविधा नहीं होती, भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता। सामान लिया और तुरंत पास ही के पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाकर गाड़ी में लोड कर दिया।”
परन्तु रिक्शेवालों का मत बिल्कुल अलग था। बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले मुकेश अपने अनुभव साझा करते हुए बताते हैं “जब मेट्रो नहीं चली थी तब हम पैसे जोड़ भी लेते थे और घर भी भेज देते थे। हमको याद है 2005 में कब चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन शुरू हुआ था, तब गर्मियों के दिन थे। हमारे ऊपर जैसे पहाड़ टूट गया था। जो लोग कश्मीरी गेट और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रिक्शा पकड़ते थे वो सभी लोग मेट्रो का इस्तेमाल करने लगे। अकसर लोग स्टेशन से बस पकड़ने के लिए कश्मीरी गेट बस अड्डा रिक्शे से जाया करते थे। उसके बाद हमारे पेट पर ये दोहरी मार पड़ी है। कम से कम 500 रिक्शेवालों के लिए ये एक बुरे सपने जैसा है। हम वर्ष 2000 से यहां रिक्शा चला रहे हैं। अब जब सरकार ने यहां रिक्शा और गाड़ी को चलाने के लिए मना कर दिया है तो ऐसे में हमको बहुत बड़ी दुविधा झेलनी पड़ रही है। वैसे ही हम पिछले साल से अब तक भुखमरी और गरीबी से कोरोना के चलते उबर नहीं पाए हैं।”
यह प्रमुख परियोजना दिल्ली मास्टर प्लान के अंतर्गत शामिल है। इस शहरी उत्थान परियोजना की सफलता मास्टर प्लान के उद्देश्यों और ढांचे पर आधारित है। परन्तु अभी तक के परिणाम उत्साहवर्धक हैं। हाँ देहाड़ी कामगारों की चिंताओं का समाधान इस उत्साह में और भी अभिवृद्धि कर सकता है। परियोजना का आधिकारिक उद्गाटन अप्रैल में निर्धारित था, परन्तु कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे फ़िलहाल टाल दिया गया है।
पिक क्रेडिट: सन्नी, इमरान ख़ान
संपादक: शिज्जु शकूर
6 Comments
What an article!!!
How very well you have introduced Johri Bazar to now very well known Chandni chowk. We use to go there for shopping and many many families go there for marriage purpose shopping. Yes there was difficulty while walking there, but now happy to know the renovation been done and it’s good development. Very well written and covered both sides of the renovation.
इमरान इस स्टोरी को करने का विचार ही अद्भुत था। और इसको जो रूप, और रूह आपने दिया वो अत्यंत प्रभावित करता है। बधाई
“सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक यह इलाका नॉन मोटराइज्ड व्हीकल एरिया रहेगा जिससे इस इलाके तो यहाँ के चिर परिचित लम्बे ट्रैफिक जामों से निजात मिलेगी। इस सम्बन्ध में नार्थ ऍम सी डी ने भी गाँधी मैदान के नज़दीक यहाँ एक मल्टी लेवल पार्किंग बनाने का निर्णय लिया है जिसकी क्षमता 2300 वाहनों से अधिक होगी।”
Very nice work done by @Imran @sunny and @shijjuSakur team.
Congratulations.
A private shopping mall with multi story parking has also been established adjoining to Chandni Chowk and Metro Station. It will earn a lot as main road of Chandani Chowk market will be declared as no vehicle zone in the day time. It may put adverse impact on the hard earning of Rickshaw and Auto drivers. Hope someone, sometimes and somewhere will raise THE VOICES thereof, too.
Poet Saahir Ludhianvi was famous for his critic writings for which he was once restigcated from his collage. I would like to quote his famous Shear here which was incorporated in a Bollywood film as a full song:
Ek Shehanshaah Ne Banwaa Ke Haseen Taaj Mehal
Hum Ghareebon Ki Muhabbat Ka Udaayaa Hai Mazaak.
Anyhow,
Congratulations once again to the whole team of The Voices.
Neel
+91-9418470707
NannuNeeL77@gmail.com
“सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक यह इलाका नॉन मोटराइज्ड व्हीकल एरिया रहेगा जिससे इस इलाके तो यहाँ के चिर परिचित लम्बे ट्रैफिक जामों से निजात मिलेगी। इस सम्बन्ध में नार्थ ऍम सी डी ने भी गाँधी मैदान के नज़दीक यहाँ एक मल्टी लेवल पार्किंग बनाने का निर्णय लिया है जिसकी क्षमता 2300 वाहनों से अधिक होगी।”
Very nice work done by Imran Khan Sunny @Shiggu ji and team.
Congratulations.
A private shopping mall with multi story parking has also been established adjoining to Chandni Chowk and Metro Station. It will earn a lot as main road of Chandani Chowk market will be declared as no vehicle zone in the day time. It may put adverse impact on the hard earning of Rickshaw and Auto drivers.
“कम से कम 500 रिक्शेवालों के लिए ये एक बुरे सपने जैसा है।”
Thanks for raising THE VOICES thereof, too.
Poet Saahir Ludhianvi was famous for his critic writings for which he was once restigcated from his collage. I would like to quote his famous Shear here which was incorporated in a Bollywood film as a full song:
Ek Shehanshaah Ne Banwaa Ke Haseen Taaj Mehal
Hum Ghareebon Ki Muhabbat Ka Udaayaa Hai Mazaak.
Anyhow,
Congratulations once again to the whole team of The Voices.
Neel
+91-9418470707
NannuNeeL77@gmail.com
Chandini chowk has always been very special to me…thanks for covering it in such a beautiful way
Imran ji,
thank you for enlightening us on the origin, prior and post development phase, through this informative article.
Images posted have beautified the article in letting the readers know the extent of development work.
Hope the government would help to stabilise the rickshaw pullers livelihood, which is a real concern.