लखनऊ हमेशा से ही अपनी खूबसूरत आर्किटेक्चर और कलात्मक रचनाओं के लिए मशहूर रहा है। यह तहज़ीब और अदब का शहर कलाकारों के लिए एक आकांक्षा और उनकी कृतियों के लिए एक मंच बना है। यहां की जिस भी गली मोहल्ले से आप गुज़र जाएँ, आपको कला और शिल्प का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलेगा।
लखनऊ के कलाकारों की रचनात्मकता का उत्सव मनाने हेतु कलाकृति बाज़ार ने 2-3 अक्टूबर को अपनी पहली कला, हस्तशिल्प और रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं की प्रदर्शनी आयोजित की। यह प्रदर्शनी लखनऊ की पहचान रूमी दरवाज़ा के बगल में स्थित जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र में आयोजित किया गया। यह प्रदर्शनी कोविड के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर आयोजित की गई थी।
इस प्रदर्शनी में 20 से अधिक जीवनशैली और हस्तशिल्प से जुड़े उत्पादों के स्टॉल लगे थे। इसके अलावा रंगोली, फेस पेटिंग, फोटोग्राफी और वीडियो प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। फ़ोटोग्राफी प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धियों ने लखनऊ की धरोहर, यहाँ की स्थापत्य कला को खूबसूरती से कैमरे में उतारा था। इस आयोजन में ‘प्लांट स्वैप’ नाम का गेम आगंतुकों की आकर्षण का केंद्र था। इस गेम के नियमों के मुताबिक सहभागियों को अपने-अपने पौधे लाकर अन्य के साथ इन्हें बदलना था। पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता हेतु यह पहल की गई थी।
“मैं कला प्रदर्शनियों में जाया करता हूँ और अक्सर वहाँ कलाकारों से स्टॉल लगाने की मोटी कीमत वसूल की जाती है। इसलिए इस प्रदर्शनी में हमारा प्रयास था कि कम से कम राशि लेकर यहाँ आने वाले कलाकारों को स्टॉल दी जाए, ताकि अभी शुरुआत करने वाले भी यहाँ अपना स्टॉल लगा सकें। हमारा मकसद लखनऊ के कलाकारों और यहाँ की संस्कृति को बढ़ावा देना है, ताकि लोग इन्हें जान सके और अपने देश के हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करें।” आशीष, आयोजन के व्यवस्थापक
“मेरा खुश्बूदार मोमबत्तियों का बिजनेस है। ये खुश्बूदार मोमबत्तियाँ मैं खुद बनाती हूँ, ये इकोफ्रेंडली हैं। इनका बेस मैं पैराफिन वैक्स की जगह सोयाबीन के रस से बनाती हूँ, यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाता। इन कैंडल्स के अलावा कंपनी इको फ्रेंडली रूम फ्रेशनर्स भी बनाती है।” – साहिबा राणा
साहिबा राणा अमोदिनी आर्टिसनल सेंटेड कैंडल नामक एक उपक्रम की उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने बताया कि पहला आयोजन था जिसमें वो अपनी कारीगरी के साथ शामिल हुईं। वह इस कलात्मक मंच पर स्थान पा कर काफी खुश थीं, जिसके माध्यम से वो अपना हुनर लोगों के सामने ला सकीं।
कलाकृति बाजार द पोएट हाउस फाउंडेशन से संबद्ध हैं, वे पिछले कई वर्षों से कवि सम्मेलन भी आयोजित कर रहे हैं। उनके द्वारा प्रदत्त मंच से अनेक वरिष्ठ और उदीयमान कवियों को अपनी रचना काव्यप्रेमियों के सामने रखने का अवसर मिला। वह आगे और भी कलाकारों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, इसकी शुरूआत उन्होंने इस प्रदर्शनी से की है। इस आयोजन के माध्यम से लखनऊ के कलाकारों और हस्तशिल्प कला के शिल्पियों को अपना हुनर लोगों के सामने रखने का अवसर मिला। ये वो उद्यमी हैं जो अपने घर से ही अपने व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं।
एक अन्य युवा उद्यमी देवप्रिया अपनी बहन के साथ मिलकर इंस्टाग्राम पर हैंडमेड ज्वैलरी और पेंटिंग्स का बिजनेस करती है। ये उनका पहला इवेंट था और उन्हें यहां आकर बहुत खुशी हुई।
नौशी एक मानवाधिकार स्नातक हैं, वे अपने घर से ही नोशी ब्राइडल बुटीक का संचालन करती हैं। उन्होंने द वॉयसेज़ को अपने बारे में बताया “मेरा लक्ष्य है कि मैं इस बुटीक के द्वारा उन महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बनाऊँ, जो कम पढ़ी लिखी हैं और आर्थिक रूप से जो अच्छी हालत में नहीं हैं। मेरे बुटीक में अभी भी जो महिलाएँ काम करती हैं वो आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों से आती हैं। मैंने इस बुटीक से शुरुआत की है और आगे एनजीओ तक जाना चाहती हूँ। यह मंच मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण है।”
हमरी बातचीत विनय गौर से भी हुई जो की रियलिस्टिक पोर्ट्रेट आर्टिस्ट हैं और लखनऊ के आशियाना कॉलोनी मैं रहते हैं। उन्होंने बताया की वो कमीशन वर्क पर अभी पोर्ट्रेट्स बनाते है और इस प्रदर्शनी के ज़रिए वो अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचकर अपना काम आगे बढ़ाना चाहते हैं।
यह प्रदर्शनी कलाकृति बाजार का पहली प्रदर्शनी थी और वो आगे भी ऐसी प्रदर्शनी लगाते रहेंगे। आशीष का कहना है कि इस बार कोविड के कारण से प्रदर्शनी को छोटे स्तर पर रखनी पड़ी, परंतु अगली बार इससे भी बड़ाी प्रदर्शिन आयोजित करने की कोशिश है ताकि और भी कलाकारों और शिल्पकारों को मौका मिल सके।
संपादन – शिज्जु शकूर
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