“आज के दिन मेरे मन में एक विचार जन्मा है कि अत्याचार के खिलाफ लड़ो चाहे फिर आपकी जान ही क्यों ना चली जाए।” ये किसी फिल्म का संवाद नहीं है। ये बात लगभग 20 साल की स्नेहा गुप्ता ने कही जो अभी-अभी मंच पर जनजातीय चेतना के महानायक भीमा नायक के संग अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष में एक भाग लेकर आई हैं। क्या आदि विद्रोही नाट्य समारोह वर्तमान पीढ़ी में स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष के प्रति ऐसी ही जागृति पैदा करने के लिए शुरू हुआ था? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए- जानते हैं एक ऐसे…