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रात की कालिख भोर चढ़े ना, पाँव डगमग उस ओर बढ़े ना। जो धूप ,छाँव पर पड़े भारी , उस…

भारत माता के चरणों का फूल क्यों मुरझा रहा है? उन्नति की दौड़ में वो अपनों से क्यों पिछड़ रहा…

कुछ ऐसी थी बरसात उस रोज़ भीबड़ी तन्हा थी रात उस रोज़ भीरही अश्क से तर ब तर बे-सदाहमारी मुलाकात…

फट रही है ज्वालामुखी ह्रदय में मेरेआंखों से बह रही है गरल धार।बिखरे लट लग रहे हैं अद्भुत अस्त्र समान,चेहरे…