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द्वारा : पियूष गौतम ना करना तुम शोक ना आँसू ना क्रोध। है जीवन ये कर्मों का जीवन के ऋण…

  पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,चारों दिशाओं में महान।यह है मेरा भारत देश ।।सभ्यता संस्कृति परमार्थ,विभिन्नता में भी सौहार्द ।यह…

बिगड़ जाओ तमन्नाओं, इजाज़त दे रहा हूं…कब तक शरीफ बन कर , पिंजरे में कैद रहोगे?तुम मासूम हो, ये बता…

और नहीं आई अबकेवो पोटरी…नहीं आयेपोखर के मखानधातरिन का आचारचरौड़ और खुमरौर के फूल…ठेकुआ , मालपुआया निमकी…हरे तीखी गंध वाले…