भारत में गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर महिलाओं के बीच दूसरा सबसे आम कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल देश में करीब 1.25 लाख नए मामले सामने आते हैं और लगभग 75,000 महिलाएं इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देती हैं। राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और अनुसंधान संस्थान के अनुसार, भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है।
हालांकि, इतने गंभीर आंकड़ों के बावजूद, इस बीमारी को लेकर जागरूकता का स्तर बेहद कम है। उरई, जिला अस्पताल की डॉक्टर फ़ातिमा अंसारी, जो ऑब्सटेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट हैं, ने इस विषय पर चर्चा की और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
क्या है सर्वाइकल कैंसर?
सर्वाइकल कैंसर, जिसे आम भाषा में बच्चेदानी के मुख का कैंसर कहा जाता है, एशिया में सबसे अधिक पाया जाता है। भारत में कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाइकल कैंसर दूसरे स्थान पर है। डॉक्टर अंसारी के अनुसार, जागरूकता की कमी और इस विषय पर खुलकर चर्चा न होने के कारण यह समस्या और गंभीर होती जा रही है।
मुख्य कारण
सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस (HPV) संक्रमण है। इसके अलावा, निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पोषण की कमी, साफ-सफाई का अभाव, और असुरक्षित यौन संबंध भी इसके खतरे को बढ़ाते हैं।
लक्षण और पहचान
डॉ. अंसारी बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण देर से उभरते हैं, जिससे इसका पता चलने में देरी होती है। प्रमुख लक्षणों में माहवारी के बीच में रक्तस्राव, शारीरिक संबंध के बाद ब्लीडिंग (पोस्ट कोटल ब्लीडिंग), कमर में लंबे समय तक दर्द, और दुर्गंधयुक्त स्राव शामिल हैं।
इस बीमारी की पहचान के लिए पेप स्मीयर टेस्ट एक महत्वपूर्ण स्क्रीनिंग प्रक्रिया है। इसमें बच्चेदानी के मुख से सैंपल लेकर जांच की जाती है। यह टेस्ट 21 से 65 वर्ष की महिलाओं के लिए हर तीन साल में कराने की सलाह दी जाती है।
क्या है समाधान?
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए HPV वैक्सीन उपलब्ध है। यह वैक्सीन 9 से 13 साल की उम्र के बच्चों को दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति 15 साल से अधिक उम्र का है और यौन रूप से सक्रिय है, तो वैक्सीन की तीन खुराक लेनी चाहिए।
हालांकि, यह वैक्सीन अभी तक भारत के नेशनल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल नहीं है, जिससे इसकी कीमत अधिक है। डॉक्टरों का मानना है कि इसे शेड्यूल में शामिल कर इसे आम जनता के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
क्या पुरुषों को भी वैक्सीन की जरूरत है?
यह आम धारणा है कि HPV वैक्सीन केवल महिलाओं के लिए है, लेकिन डॉक्टर अंसारी ने स्पष्ट किया कि यह वायरस पुरुषों में भी गुप्तांग और एनल कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए, पुरुषों को भी यह वैक्सीन लगवानी चाहिए।
आगे का रास्ता
सर्वाइकल कैंसर के मामलों में कमी लाने के लिए जरूरी है कि लोग नियमित जांच कराएं और समय पर इसका इलाज शुरू करें। इसके साथ ही, जागरूकता अभियान और वैक्सीन की सुलभता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन समय पर पहचान और उचित इलाज से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए समाज को इस बीमारी को लेकर अपनी मानसिकता बदलने और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
संपादन – शिज्जु शकूर