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कुछ ऐसी थी बरसात उस रोज़ भीबड़ी तन्हा थी रात उस रोज़ भीरही अश्क से तर ब तर बे-सदाहमारी मुलाकात…

ये कब जन्मा?कब जागा?कब बेपरवाह हुआ?कोई रोक टोक थी क्या?कोई शक या शंका?कभी थमा?फिर कब कैसे उठा?क्या कारण रहा?जैसा कल…

द्वारा : पियूष गौतम ना करना तुम शोक ना आँसू ना क्रोध। है जीवन ये कर्मों का जीवन के ऋण…

बिगड़ जाओ तमन्नाओं, इजाज़त दे रहा हूं…कब तक शरीफ बन कर , पिंजरे में कैद रहोगे?तुम मासूम हो, ये बता…