चरण दर चरण उतार-चढ़ाव के बाद पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव संपन्न हुए और इसके परिणाम भी आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी पाँच में से चार राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि पंजाब में ‘आप’ का परचम लहराया। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है, इस बार तो उनका वोट प्रतिशत पिछले चुनाव से भी कम रहा, सीटों की संख्या में भी कमी आई। पूरे आंकड़े द वॉइसेज़ के इस आलेख में देखे जा सकते हैं।
गौरतलब है कि चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’ अभियान ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने आगे आकर घोषणा की थी कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस की तरफ से 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जायेंगे। इस संबंध में द वॉयसेज़ ने ‘देश की विधानसभाओं में महिलाओं की उपस्थिति: क्या कहते हैं आंकड़े’ शीर्षक से आंकड़ो पर आधारित आलेख प्रकाशित किया था। पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद, देखते हैं कि आंकड़ों में क्या बदलाव आया है।
विधानसभा में बढ़ा महिलाओं का प्रतिनिधित्व
देश के पाँच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में हुए विधानसभा चुनावों में 73 महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। निवर्तमान विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 56 थी, इस तरह महिला विधायकों की संख्या में 30.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि महिला उम्मीदवारों की संख्या के सापेक्ष यह आंकड़े कम हैं। इन पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों में विभिन्न दलों से 759 महिला उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी। लेकिन महज़ 9.6 फीसदी महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर विधानसभा की राह पकड़ी है।
इन पाँच राज्यों में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 690 है, इनमें 10.6 प्रतिशत सीटों पर महिला प्रत्याशियों का कब्ज़ा हुआ है। निवर्तमान विधानसभा में महिलाओं का सीट शेयर 8.11 प्रतिशत था।
उत्तर प्रदेश: महिला प्रत्याशियों के सापेक्ष निर्वाचित प्रत्याशियों की संख्या बेहद कम
2022 में उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से 44 सीटों पर महिला विधायकों का कब्ज़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में 560 महिला उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी, यानि सिर्फ 7.8 फीसदी महिलाओं को ही विधानसभा जाने का मौका मिलेगा। निवर्तमान विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 41 थी। आंकड़े बताते हैं कि इनकी संख्या में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं हुआ है।
कांग्रेस की तरफ से सर्वाधिक 159 महिला उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा गया था। भाजपा की तरफ से 45 और सपा की तरफ से 42 महिलाओं ने उम्मीदवारी पेश की, जबकि बसपा ने 37 महिला उम्मीदवार उतारे थे।
विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा की तरफ से 46 महिला उम्मीदवारों ने चुनौती पेश की थी, जबकि कांग्रेस तथा सपा ने 37 और बसपा ने 32 महिला उम्मीदवारों को चुनाव में टिकट दिए थे।
पंजाब में दुगुनी से ज्यादा हुई महिला विधायकों की संख्या
सीटों की संख्या के हिसाब से पंजाब पाँच राज्यों में दूसरी बड़ी विधानसभा है। यहाँ सीटों की संख्या 117 है। इस बार कुल 117 सीटो में से 13 पर महिला प्रत्याशियों का कब्ज़ा हो गया है। इस बार के विधानसभा चुनावों में 93 महिला उम्मीदवारों ने विभिन्न दलों की तरफ से अपनी दावेदारी पेश की थी। इन 13 विजेता महिला प्रत्याशियों में से 11 ने आम आदमी पार्टी के चुनाव चिह्न पर जीत हासिल की। पंजाब की पिछली विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या महज़ 6 थी।
उत्तराखंड ने चौंकाया
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 20 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान पर थीं, इनमें से 8 प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई। महिला प्रत्याशियों की संख्या के सापेक्ष यह जीत महत्वपूर्ण थी। यह उत्तराखंड में अब तक का रिकॉर्ड है। उत्तराखंड की निवर्तमान विधानसभा की 5 सीटों पर महिला विधायक काबिज़ थीं।
मणिपुर में महिला विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी
इस बार मणिपुर विधानसभा में पिछली बार की तुलना में अधिक महिला विधायकों को प्रतिनिधित्व का अवसर मिलेगा। मणिपुर में 15 महिला उम्मीदारों ने चुनाव के मैदान में अपनी दावेदारी पेश की थी। इन 15 में से पाँच प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की, निवर्तमान विधानसभा में इनकी संख्या दो थी। 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में 11 महिला उम्मीदवार चुनावी रण में थीं।
गोवा: प्रत्याशियों की संख्या में कमी लेकिन विधायकों की संख्या बढ़ी
गोवा विधानसभा चुनावों में 40 सीटों के लिए 301 उम्मीदवार मैदान में थे, इनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या 26 थी। इन 26 में से तीन महिलाओं ने जीतकर विधानसभा की राह पकड़ी, निवर्तमान विधानसभा की 40 में से 2 सीटों पर महिला विधायक काबिज़ थीं। 2017 के विधानसभा चुनावों में गोवा से 19 महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आज़माई थी।
संपादक: एन. के. झा