यह 25 दिसंबर, 2020 की बात है। महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की जंयती थी। संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामना को श्रद्धांजलि अर्पित करके लौट रहे थे। इसी दौरान संगरूर से सांसद आप नेता भगवंत मान हाथ में तख्ती लिए खड़े थे, उनके साथ साथी सांसद संजय सिंह थे। वे कृषि कानूनों के विरोध में नारे लगा रहे थे। तब भगवंत मान पर किसी ने गौर किया हो या न किया हो, आज पंजाब की जनता ने उन्हें ऐतिहासिक जनादेश देकर सहर्ष अपनाया है।
आज आये विधान सभा चुनावों के परिणाम में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में जीत का परचम लहराया। राज्य की 117 विधान सभा सीटों में आम आदमी पार्टी ने 92 सीटों पर जीत हासिल की। पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले किसान आंदोलन के राजनीतिक प्रभावों पर खूब अटकलबाजियां हुईं। गौरतलब है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ही सबसे पहले तीन कृषि कानूनों में से एक ‘कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020’ को अधिसूचित भी किया था। परन्तु आम आदमी पार्टी की जीत ने तमाम समीकरणों को तोड़ते हुए चुनावी पंडितों को हैरान किया। २२ किसान जत्थेबंदियों की राजनीतिक इकाई, संयुक्त समाज मोर्चा भी कोई विशेष छाप छोड़ने में नाकाम रही। इस मोर्चे के प्रधान, बलबीर सिंह राजेवाल को समराला सीट से लड़ते हुए अपनी जमानत भी गंवानी पड़ी।
इस सन्दर्भ में वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह लिखते हैं, “पंजाब में बदलाव की बयार आप की लहर बनकर सामने आई। किसान आंदोलन से निकले दल और गठजोड़ असर छोड़ने में नाकाम रहे। अकाली दल का भी सफाया हो गया है। ना सिर्फ कांग्रेस का दलित मुख्यमंत्री का दांव फेल हुआ बल्कि बसपा-अकाली और अमरिंदर-कांग्रेस गठजोड़ को भी जनता ने नकार दिया।”
दोनों मुख्यमंत्री नहीं बच सके आप की आंधी से
इस चुनाव में सबसे चौंकाने वाले नतीजे ये रहे कि चुनाव में उतरे कई पूर्व मुख्यमंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। निवर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपनी चमकौर साहिब की सीट गंवा बैठे और भदौड़ सीट पर भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चरणजीत सिंह चन्नी को आम आदमी पार्टी के चरणजीत सिंह ने चमकौर साहिब सीट से 7942 से वोटों से हराया। भदौड़ में उनकी हार और भी बड़ी थी। आम आदमी पार्टी के ही लाभ सिंह उगोके ने उन्हें 37,558 वोटों के अंतर से हराया।
वहीं पटियाला से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपनी सीट गँवा दी है। उन्हें आम आदमी पार्टी के अजीत पाल सिंह कोहली ने 19873 वोटों से हराया। यहाँ तक कि जलालाबाद से शिरोमणि अकाली दल के दिग्गज नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल भी अपनी सीट नहीं बचा सके।
आपसी खींचतान में कांग्रेस का नुकसान
चुनाव से पहले कांग्रेस में आंतरिक खींचतान ने खूब सुर्खियां बटोरीं। मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो या टिकट के बंटवारे का मुद्दा, पंजाब कांग्रेस में काफी विवाद देखने को मिला। कार्यकाल के बीच ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बना ली। उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा।
अमरिंदर के स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब सरकार की कमान सौंपी गई, जो की सूबे के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। विशेषज्ञों ने दलित वोटों को साधने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना था। संगठन में नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। परन्तु आंतरिक संतुलन के तमाम प्रयास परिणामों में तब्दील नहीं हुए।
इस विधानसभा चुनाव में पंजाब की मोगा सीट भी बेहद चर्चा में थी। यहाँ पर मौजूदा विधायक हरजोत सिंह कमल का टिकट काटकर कांग्रेस ने मशहूर अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद को उतारा था। यहाँ आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार डॉ. अमनदीप कौर अरोरा ने उन्हें 20915 वोट से हराया। सोनू सूद कोविड की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान चर्चा में आए थे, जब उन्होंने पैदल लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के लिए वाहन का इंतज़ाम कर उन्हें घर पहुँचाया था। मोगा से भाजपा ने हरजोत सिंह कमल को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने टिकट कटने के बाद भाजपा की सदस्यता ले ली थी।
आप के वोट शेयर में बहुत बड़ा बदलाव, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को नुकसान
विधान सभा चुनाव के परिणाम पर निवर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ट्वीट करके आम आदमी पार्टी और पंजाब के नए संभावित मुख्यमंत्री भगवंत मान को बधाई दी।
“मैं पंजाब के लोगों के फैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूँ और आम आदमी पार्टी और उनके चुने हुए सीएम को इस जीत के लिए बधाई देता हूँ। मुझे उम्मीद है कि वे लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।”
चरणजीत सिंह चन्नी, निवर्तमान मुख्यमंत्री, पंजाब
इस हार के लिए कांग्रेस के लोकसभा सांसद गुरजीत सिंह औजला ने पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी और अजय माकन को आड़े हाथों लिया। एबीपी में प्रकाशित खबर के अनुसार, गुरजीत सिंह औजला ने हरीश चौधरी और अजय माकन पर आरोप लगाते हुए कहा- ‘‘पंजाब में तीन महीने पहले हरीश चौधरी और अजय माकन की एंट्री हुई। इन दोनों ने ऐसा टिकट बंटवारा किया कि कांग्रेस पार्टी पंजाब में बर्बाद हुई। हमारे नेता नोट्स बनाते रहे और विपक्ष वोट ले गया।”
पिछले चुनाव की तुलना में पंजाब के दोनों बड़े दलों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को बड़ा नुकसान हुआ है। कांग्रेस के वोट शेयर में 15 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है। 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले यह 38.5 प्रतिशत से गिरकर अब 23 प्रतिशत के आसपास रह गया है। शिरोमणि अकाली दल का वोट शेयर भी 25.3 प्रतिशत से गिरकर 18.19 प्रतिशत रह गया है। विधानसभा चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी ने 2017 की तुलना में बड़ी छलांग लगाई है। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 23.8 प्रतिशत से 42.18 प्रतिशत पहुँच गया।
दूसरे राज्य में सरकार बनाने वाली आप पहली क्षेत्रीय पार्टी
आम आदमी पार्टी आज़ाद भारत के इतिहास की पहली क्षेत्रीय पार्टी है एक बाद जो दूसरे राज्य में सरकार बनाने जा रही है। दिल्ली में लगातार तीन बार सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी अब पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बना रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब की जीत ने राष्ट्रीय राजनीतिक समीकरणों में आम आदमी पार्टी की भूमिका को बल दिया है। कांग्रेस की खिसकती राजनीतिक ज़मीन के मद्देनज़र, एक तीसरे विकल्प के रूप में पार्टी जगह लेने की कोशिश कर सकती है। इसकी झलक चुनाव परिणामों के बाद स्वयं पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सम्बोधन में मिली। उन्होंने बड़ी संख्या में मज़दूरों, किसानों, और अन्य तमाम वर्गों से लोगों को पार्टी में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा, “दिल्ली के बाद पंजाब में इंकलाब हुआ, अब देश की बारी।”
जनादेश स्पष्ट है। पंजाब की जनता परिवर्तन चाहती थी। और आम आदमी पार्टी में उसने परिवर्तन के सामर्थ्य की संभावनाएं देखीं। आम आदमी पार्टी भी इस जीत से अपनी भूमिका को व्यापक रूप देने की संभावनाओं का संधान करने की दिशा में अग्रसर है।
संपादक: एन के झा